आदमी का खून


हमारी आत्मा को
बेईमानी करना मना है
इसीलिये हमारा खून
केवल चांवल के दानों से बना है ।
उनका खून तो बना है
सेब से, संतरा से
मांस से, मदिरा से
इसीलिए जब भी कभी
उनका खून
गिरता है सड़कों पर
तो बह जाता है ।
हमारा खून तो
खून है आदमी का
टपकता है तो
जम जाता है ।
हमारा खून
इतिहास की धरोहर है ।
उनका खून
गन्दे उपन्यासों का पात्र है ।
हमारा खून
ईमान है, विश्वास है ।
उनका खून
छल कपट मात्र है ।
हमारे खून की दास्तान
जलियाँ वाले बाग से पूछो ।
हमारे खून की दास्तान
झाँसी के मैदान से पूछो ।
हमारा खून
झेलम में बहाया गया है
हमारे खून से यह देश
फिर से बसाया गया है ।
हमारा खून देश के
हर कोने में बिखरा है
इसीलिये इसका रंग
आज इतना निखरा है ।
मुमकिन है
उनका खून भी
कहीं गिरा होगा
लानत है वहां एक
पौधा भी न उगा होगा
उनका खून
खून नहीं रंगीन पानी है
जो मिट्टी के घड़ों में
बनाया जा सकता है
जरूरत पड़ी तो
गलियों में बहाया जा सकता है ।
आज भी मेरे कानो में
गुंजती है एक ही अवाज
तुम मुझे खून दो
मैं तुम्हे अजादी दुंगा
हमारे खून का हकदार
हमसे जुदा हो गया है
माँ तेरा बेटा कहाँ खो गया है ।
वो वीर प्रसुता माँ
फिर अपनी कोख से
जन्म दे
गाँधी, सुभाष, भगत सिंह
चन्द्रशेखर अज़ाद
कल तुम्हें फिर
उनकी शहादत की
जरूरत होगी
तुम्हे हमारे खून की
जरूरत होगी
तुम्हे आदमी के खून की
जरूरत होगी ।


 -- : बसंत देशमुख :--

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