हमसे मत पूछो
हम किन मुसीबतों में पले हैं
कैसी मुसीबत है
कैसी बला है
दुश्मनो ने लुटा है
दोस्तों ने छला है
पराये जी भर के सताये
अपनो ने भी कब अपनाये
क्या बतायें
कैसे जी रहे हैं
ठंडे पानी को फूंक फूंक कर
पी रहे हैं
आप जले होंगे दूध से
हम तो छांछ से जले हैं
क्या बने
बात तदबीर से
तकदीर तो हर बार
रूठ जाती है
पनघट से भरी गगरी
देहरी पर आकर
फुट जाती है
साथ के हमसफर
मोड़ पर छूट जाते हैं
सपनो के ताने बाने
मंज़िल से दूर
सड़कों पर ही
टूट जाते हैं
वक़्त की धार
कैसे कटेगी
नैया पार कैसे लगेगी
नाव में छेद कर दिये हैं
जो लोग पार हो चले हैं
-- : बसंत देशमुख :--
हम किन मुसीबतों में पले हैं
कैसी मुसीबत है
कैसी बला है
दुश्मनो ने लुटा है
दोस्तों ने छला है
पराये जी भर के सताये
अपनो ने भी कब अपनाये
क्या बतायें
कैसे जी रहे हैं
ठंडे पानी को फूंक फूंक कर
पी रहे हैं
आप जले होंगे दूध से
हम तो छांछ से जले हैं
क्या बने
बात तदबीर से
तकदीर तो हर बार
रूठ जाती है
पनघट से भरी गगरी
देहरी पर आकर
फुट जाती है
साथ के हमसफर
मोड़ पर छूट जाते हैं
सपनो के ताने बाने
मंज़िल से दूर
सड़कों पर ही
टूट जाते हैं
वक़्त की धार
कैसे कटेगी
नैया पार कैसे लगेगी
नाव में छेद कर दिये हैं
जो लोग पार हो चले हैं
-- : बसंत देशमुख :--
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