ईश्वर से प्रार्थना


दूध की धोयी हुई कुछ चाँदनी दो
आग में जो  तप चुकी हो  धूप दो
दो हवा  चंदन वनों  की  सांस सी
देश को अब तो नया कुछ रूप दो

सांझ दो  विश्वास में  लिपटी  हुई
भोर दो जिसमें बंधी कुछ आस हो
स्वप्न सतरंगी  नये  दो आंख को
जिंदगी  को अब नया उल्लास दो

स्नेह दो स्नेहिल धारा की गोद का
धूल  दो  आशीष   की  आकाश  के
कल्पना   का  दो  हमें  संबल नया
गीत गाती दो  कलम  मधुमास के


 -- : बसंत देशमुख :--

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