किससे पूछें
दर्पण सब टूटे हैं
बाकी सब झूठे हैं
पूछें तो किससे पूछें
पुंजीवादी चेहरों पर
कैसी फबती हैं
समाजवादी मूछें |
-- : बसंत देशमुख :--
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