चौराहे पर आज विचारों के
आकर क्यों कलम खड़ी है,
सोच रही कोई कह देगा
छोटा मुंह और बात बड़ी है |
किन्तु झूठ को जो सह जावे
वैसा अपना खून नहीं है,
सच्चाई कहने से रोके
ऐसा भी कानून नहीं है |
इसीलिए गीता को छूकर
मैंने अपनी कलम उठाई,
किन्तु न जाने कुछ लिखने से
पहले क्यों आँखें भर आयी |
किसकी पीड़ा थी आँखों में
किसके दर्द होंठ पर आये ,
मैंने कागज़ के पन्नो पर
आंसू से कुछ चित्र बनाये |
-- : बसंत देशमुख :--
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